देहरादून। संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी आचार्य गुरुदेव सौरभ सागर जी महामुनिराज चार दिवसीय तिलक रोड प्रवास के पश्चात शनिवार को प्रातःकाल सुप्रभात भक्ति के पश्चात 5.45 पर आयुष जैन के निवास तिलक रोड से दिगंबर जैन पंचायती मंदिर एव जैन भवन गाँधी रोड के लिए मंगल विहार किया। जिसमें लोगों ने रिमझिम बरसात के बावजूद बड़ी संख्या में जयकारे लगाते हुए भजन गाते हुए महाराज श्री को गांधी रोड स्थित जैन धर्मशाला में मंगल प्रवेश कराया। तत्पश्चात पूजा अर्चना के साथ आचार्य श्री जी के प्रवचनां की मंगल में बौछार में सभी श्रद्धालुओ पर की गई जिसमें सभी श्रद्धालु धर्म प्रेमी बंधु आनंदित हुए और धर्मलाभ उठाया।
पूज्य श्री आचार्य श्री जी ने कहा कि जीवन क्षणभंगुर है, चीज़ें अस्थायी हैं। आपको उस समय इसका एहसास नहीं होता क्योंकि आप इसमें डूबे रहते हैं, रोज़मर्रा के फ़ैसलों, कामों और लक्ष्यों की ओर बढ़ने की योजनाओं से जूझते रहते हैं। जीवन में काम आने वाली कुछ प्रेरणादायक महत्वपूर्ण बातें क्या हैं? जब तक आप खुद की क़ीमत नही करेंगे, तब तक दूसरे लोग भी आपकी कीमत नही करेंगे। खुद की खामियों को अपनी कमजोरियां समझ कर खुद की कीमत कम ना करें। यह दुनिया खुशी के पीछे भाग रही है। अगर आप खुश है तो आप कभी अकेले नहीं रहेंगे।
आपका सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी आपको आईने के सामने ही मिलेगा। डर सिर्फ खाली बैठे रहने वाले लोगो के खाली दिमाग पर ही हावी होता है। काम करने वाले लोगां को डर को खुद पर हावी होने देने की फुर्सत ही नहीं मिलती। सोचियें की आपकी ज़िंदगी हर तरह से परफेक्ट है। ऐसे जीने में क्या मज़ा? इससे कोई फर्क नही पड़ता आप कितनी बार गिरे है, फर्क इससे पड़ता है की आप कितनी बार वापस उठे है। आपकी अनुमति के बिना आपको कोई नहीं तोड़ सकता। जो हमारा दिल तोड़ते हैं उन्हें हम ही उसका अधिकार देते हैं। खुशी एक तितली की तरह है। जितना उसे पकड़ने की कोशिश करोगे वह उतनी हाथ से छूटती जाएगी। लेकिन अगर शांति से बैठोगे तो वह आपके ऊपर आकर बैठ जाएगी। इसी श्रृंखला में संध्याकालीन गुरु भक्ति शंका समाधान वैयावृत्ति आदि कार्यक्रम संपन्न हुए।
आपकी अनुमति के बिना आपको कोई तोड़ नहीं सकताः सौरभ सागर जी महामुनिराज

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