सरस्वती विहार में आयोजित शिव महापुराण कथा संपन्न
देहरादून। सरस्वती विहार विकास समिति एवं शिव शक्ति मंदिर प्रकोष्ठ अजबपुर खुर्द देहरादून द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा विशाल भंडारा के साथ विराम हुई। विराम दिवस की कथा पर कथा व्यास पंडित सूर्यकांत बलूनी ने भगवान शिव की महिमा और उनके महत्व का वर्णन करते हैं उन्होंने कहा कि भगवान शिव ही सृष्टि के संहारक और पुनर्निर्माणकर्ता हैं। वे ही काल की गति को नियंत्रित करते हैं और संसार के सभी जीवों का भाग्य तय करते हैं। भगवान शिव की कृपा से ही जीव मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
व्यास जी भगवान शिव की स्तुति करते हुए कहते हैं कि वे ही परमात्मा हैं, जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान हैं। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है, और उनकी कृपा के बिना किसी भी जीव की उन्नति नहीं हो सकती। इस प्रसंग में व्यास जी भगवान शिव की महिमा का वर्णन करके उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करते हैं। यह प्रसंग भगवान शिव के महत्व और उनकी महिमा को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने वाले इस प्रसंग में व्यास जी की भक्ति और श्रद्धा की भावना स्पष्ट रूप से झलकती है। यह प्रसंग भक्तों को भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा की भावना को समझने और विकसित करने में मदद करता है। आज की कथा में क्षेत्रीय विधायक उमेश शर्मा काऊ और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने भी कथा व्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया. अंत में समिति के अध्यक्ष पंचम सिंह बिष्ट एवं सचिव गजेंद्र भंडारी ने 11 दिन की शिव महापुराण कथा में सहयोग करने के लिए सभी महानुभावों का हार्दिक आभार एवं धन्यवाद प्रकट किया. उन्होंने कहा कि इन 11 दिनों में जहां मौसम लगातार अनुकूल नहीं था फिर भी इसके बावजूद कथा सुनने के लिए भारी तादाद में भक्तजन उपस्थित रहे और आज भंडारा में बहुत ज्यादा भीड़ उमड़ी जो हम सबके लिए खुशी की बात है और समिति आगे भी ऐसे कार्य करती रहेगी।
इस अवसर पर पंचम सिंह बिष्ट, बीएस चौहान, कैलाश राम तिवारी, गजेंद्र भंडारी, क्षेत्रीय पार्षद सोहन सिंह रौतेला, मूर्ति राम विज्लवाण, दिनेश जुयाल, बीपी शर्मा, अनूप सिंह फ़र्तियाल, मंगल सिंह कुट्टी, प्रेमलाल चमोली, आशीष गुसांईं, जयप्रकाश सेमवाल, जयपाल सिंह बर्तवाल, चिंतामणि पुरोहित, कैलाश रमोला, आचार्य उदय प्रकाश नौटियाल, आचार्य सुशांत जोशी, आचार्य अखिलेश बधानी, ऋषभ पोखरियाल, हिमांशु राणा, प्रवीण कैंतुरा, ध्यानचंद रमोला, आदि उपस्थित थे।