लखनऊ । हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में मंगलवार को उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि नोटिस के बावजूद भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा की ओर से न तो कोई उपस्थित हुआ है और न ही इन राजनीतिक दलों की ओर से किसी अधिवक्ता ने वकालतनामा दाखिल किया है। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तिथि तय कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा वर्ष 2013 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। पिछली सुनवाइयों के दौरान चुनाव आयोग की ओर से न्यायालय को बताया गया था कि उसने ऑनलाइन जवाबी हलफ़नामा दाखिल कर दिया है। हालांकि, न्यायालय के रिकॉर्ड पर उक्त हलफ़नामा नहीं पाया गया। इस पर न्यायालय ने आयोग को जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया था। इसके पश्चात आयोग ने 18 अप्रैल को मामले में अपना जवाबी हलफ़नामा दाखिल कर दिया। याची के अनुसार न्यायालय ने पूर्व के आदेश में चुनाव आयोग समेत केंद्र व राज्य सरकारों को जातीय रैलियों के खिलाफ गाइडलाइंस बनाने का आदेश दिया था। याची ने बताया कि पूर्व में न्यायालय इस मामले में प्रदेश के चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नोटिसें जारी करने का आदेश 11 नवंबर 2022 दे चुकी है, हालांकि इन दलों को नोटिस न मिलने के कारण पुनः नई नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया था। नई नोटिस भेजे जाने के बावजूद उक्त राजनीतिक दलों की ओर से उपस्थित नहीं हुआ।