रामनगर। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला पर्यटन जोन से तीन दिन पहले घायल अवस्था में रेस्क्यू किए गए बाघ की डिहाइड्रेशन के चलते शनिवार को मौत हो गई है। बाघ का उपचार कॉर्बेट पार्क के ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर में चल रहा था। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ दिन पूर्व गश्त के दौरान वनकर्मियों ने ढिकाला जोन में इस बाघ को घायल अवस्था में देख उच्च अधिकारियों को सूचित करते हुए बाघ के लिए विशेष रेस्क्यू ऑपरेशन की तैयारी शुरू की गई थी। ड्रोन कैमरों और हाथियों की मदद से तीन दिन पहले बाघ को सफलतापूर्वक ट्रेंकुलाइज कर उसका इलाज ढेला रेस्क्यू सेंटर में किया जा रहा था। रेस्क्यू के वक्त से ही बाघ की हालत गंभीर बनी हुई थी। पशु चिकित्सकों की टीम लगातार इलाज में जुटी हुई थी, लेकिन उसकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हो पाया। शनिवार को बाघ की स्थिति और अधिक बिगड़ गई और डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) के चलते उसकी मौत हो गई। बाघ को जब ढिकाला से लाया गया था। तब वह बेहद कमजोर अवस्था में था। उसके शरीर पर गहरे जख्म थे और वह भोजन व पानी नहीं ले रहा था। पशु चिकित्सकों ने उसे हर संभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई, लेकिन फिर भी उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। बाघ की मौत के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की गाइडलाइंस के तहत उसका पोस्टमार्टम करवाकर वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों की मौजूदगी में शव परीक्षण के बाद बाघ के शव को नष्ट कर दिया गया है। यह नर बाघ था जिसकी उम्र 6 से 7 वर्ष बताई जा रही है।