देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य सरकार से चीड़ की प्रजाति को प्रतिबन्धित वृक्षों की श्रेणी से हटाने की मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा है कि उत्तराखण्ड की राज्य सरकार द्वारा वृक्षों की 15 प्रतिबन्धित प्रजातियों को छोड़कर अन्य प्रजाति के वृक्षों को निजी भूमि से काटने की अनुमति देना प्रस्तावित है। करन माहरा ने कहा कि यह सर्व विदित है कि उत्तराखण्ड राज्य का लगभग 95 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित क्षेत्र है। इस वनाच्छादित क्षेत्र में जहां लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र में चीड़ के वृक्षों की बहुलता है, वहीं पर्वतीय क्षेत्र में परम्परागत पेयजल के स्रोतों की विलुप्ति तथा वनाग्नि का प्रमुख कारण भी यही चीड़ के वन हैं, जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्र की स्थानीय जनता द्वारा चीड़ के वृक्षों के उन्मूलन की बार-बार मांग की जाती है परन्तु पर्यावरण विभाग द्वारा निजी भूमि पर उगे चीड़ के वृक्षों को भी प्रतिबन्धित प्रजाति में शामिल किया गया है। चीड़ के वृक्षों की अधिकता के कारण जहां पर्वतीय क्षेत्र के पेयजल स्रोत विलुप्त हुए हैं वहीं प्रत्येक वर्ष वनों में धधकने वाली आग से प्राकृतिक सम्पदा तथा खेती को भी नुसान होता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में चीड़ की प्रजाति की अधिकता तथा इससे होने वाले कुप्रभावों को देखते हुए चीड़ की प्रजाति को निजी भूमि से वृक्ष काटने की अनुमति वाली प्रजाति में शमिल किया जाना चाहिए।