पौड़ी। जनपद पौडी गढ़वाल के पैठाणी क्षेत्र के कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं जिलाधिकारी पौड़ी से खण्ड शिक्षा अधिकारी थलीसैंण की शिकायत करते हुए उनके कार्य व्यवहार की जांच कराये जाने की मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं जिलाधिकारी पौडी को लिखे शिकायती पत्र में स्थानीय जनता द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी पर राजनैतिक विद्वेष की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वे पार्टी विशेष के नेता के राजनैतिक दबाव में क्षेत्र में शिक्षा का माहौल खराब कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश चमोली ने कहा है कि खण्ड शिक्षा अधिकारी थलीसैण द्वारा विगत लंबे समय से राजनैतिक विद्वेष की भावना से कार्य करते हुए अपने अधिकारों का न केवल दुरुपयोग किया जा रहा है अपितु निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों को जानबूझ कर बिना वजह परेशान किया जा रहा है। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि बीईओ द्वारा पूर्व में भी इस अपने पद की गरिमा के विपरीत कार्य व्यवहार करते हुए निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों के खिलाफ साजिशन कार्य किया गया जिसकी शिकायत विभाग को की गई परन्तु राजनैतिक संरक्षण के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। कहा कि जो व्यक्ति शिक्षा अधिकारी के रूप में राजनीति कर रहा हो ऐसे व्यक्ति के शिक्षा अधिकारी जैसे पद पर बने रहने से क्षेत्र का शैक्षणिक माहौल खराब होता जा रहा है तथा क्षेत्र के गरीब परिवारों के बच्चे जो इन शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उनका भविष्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा अपनी मन मर्जी से शिक्षकों के स्थानान्तरण एवं निलम्बन किये जा रहे हैं जिससे क्षेत्र में शिक्षा का माहौल खराब हो रहा है तथा शिक्षकों मे भी भारी रोष व्याप्त है। स्थानीय जनता ने उदाहरण देते हुए कहा कि पैठाणी स्थित के.डब्लू.एम.एम. हाई स्कूल जिसमें लगभग 500 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं को बार-बार जांच के नाम पर तंग किया जा रहा है जबकि विद्यालय शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित सभी मानकों को पूर्ण करता है। पैठाणी क्षेत्र के सभी क्षेत्रवासियों ने मुख्यमंत्री एवं जिलाधिकारी से निवेदन किया है कि नौनिहालों के भविष्य को मद्देनजर रखते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी थलीसैंण के कार्य व्यवहार की जांच की जाए तथा उन्हें तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटाया जाय। जनता ने यह भी कहा है कि यदि खण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्य व्यवहार की जांच कर कार्रवाई नहीं की जाती है तो क्षेत्रवासी बडे़ स्तर पर आंदोलन को मजबूर होंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शिक्षा विभाग एवं शासन-प्रशासन की होगी।