- केंद्रीय कैबिनेट से 16वें वित्त आयोग का गठन करने पर अहम फैसला, कैबिनेट से तीन पदों के सृजन को मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट से 16वें वित्त आयोग का गठन करने पर अहम फैसला लिया है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन पदों के सृजन को मंजूरी दी गई। गुरुवार को हुई इस अहम बैठक के बाद जारी बयान के अनुसार, 16वें वित्त आयोग के लिए सरकार एक आर्थिक सलाहकार और दो संयुक्त सचिवों के पद का सृजन करेगी। सरकार ने कहा कि आयोग के काम-काज में योगदान के लिए इन पदों का सृजन हुआ है।
सरकार ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर वित्त आयोग का गठन किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने लगभग ढाई हफ्ते पहले इसकी अधिसूचना जारी की थी। कैबिनेट बैठक में मंजूरी और वित्त आयोग के गठन पर सरकार ने कहा कि 31 दिसंबर, 2023 को जारी अधिसूचना के माध्यम से 16वें वित्त आयोग के लिए पदों के सृजन को मंजूरी दी गई थी। अब कैबिनेट की बैठक में इसे औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी गई।
16वें वित्त आयोग में नया पद बनाना क्यों जरूरी?
नए पदों का सृजन करने की जरूरत क्यों पड़ी? इस सवाल पर केंद्र सरकार ने बताया कि संविधान से मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 16वें वित्त आयोग के लिए जरूरी बाकी पदों का सृजन पहले ही किया जा चुका है। आर्थिक सलाहकार और दो संयुक्त सचिव के पदों की जरूरत आयोग पर कामकाज के भार को देखते हुए पड़ी। तीनों पदों पर नियुक्त होने वाले अधिकारी 16वें वित्त आयोग को अपने कार्यों को बिना अड़चन और सुचारू रूप से पूरा करने में सहायता करेंगे।
अरविंद पनगढ़िया को नियुक्त किया गया है 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष
31 दिसंबर 2023 की एक अधिसूचना में, सरकार ने नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था। ऋत्विक रंजनाम पांडे को आयोग के सचिव के रूप में नामित किया गया था। आयोग 31 अक्टूबर, 2025 तक राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। यह रिपोर्ट 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाले पांच साल के लिए होगी।
आयोग केंद्र और राज्यों के बीच कर हस्तांतरण और राजस्व बढ़ाने के उपायों का सुझाव देने के अलावा, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत आपदा प्रबंधन से जुड़ी पहलों के वित्तपोषण के लिए वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा करेगा। वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो केंद्र-राज्य के वित्तीय संबंधों पर अपनी राय देता है। एनके सिंह की अध्यक्षता में तत्कालीन 15वें वित्त आयोग ने सिफारिश की थी कि राज्यों को पांच साल की अवधि 2021-22 से 2025-26 के दौरान केंद्र के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत दिया जाए, जो 14वें वित्त आयोग की ओर से अनुशंसा किए गए स्तर के बराबर है।

