- कांग्रेस को गुलाम नबी आजाद ने दिया जीत का फॉर्मूला
- गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस को दिया जीत का मंत्र
उत्तर प्रदेश : जैसे-जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव करीब आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर रहे हैं। वहीं 3 राज्यों में हार के बाद गुलाम नबी आजाद ने दिया पार्टी को जीत का फॉर्मूला दिया है। बीजेपी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि हिंदी हार्टलैंड के लोगों के बीच उसकी पकड़ कितनी मजबूत है।
दरअसल, रविवार (3 दिसंबर) को आए चुनावी नतीजों में बीजेपी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बंपर सीटें मिली हैं। इन चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, अब डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) ने बताया है कि आखिर चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को क्या करने की जरूरत है।
दरअसल, हिंदी हार्टलैंड में जिस तरह की बीजेपी ने जीत हासिल की है। उसे देखकर ऐसा लगने लगा है कि छह महीने बाद जब 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे, तो बीजेपी के लिए उसे जीतना ज्यादा मुश्किल नहीं होने वाला है। भले ही दक्षिण में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा है। मगर उत्तर भारत में उसकी पकड़ बेहद ही मजबूत है।
वहीं, अब कांग्रेस भले ही दक्षिण के दो राज्यों में सरकार में है, मगर बिना उत्तर भारत में जीत के वह 2024 में कोई बड़ा बड़ा कमाल नहीं कर सकती है। बीजेपी के तीन राज्यों में जीत को लेकर जब गुलाम नबी आजाद से सवाल किया गया, तो उन्होंने इसका जवाब भी दिया और बताया कि किस तरह कांग्रेस आगे के चुनाव में जीत सकती है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चीफ गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘कांग्रेस को कई सारी चीजें बदलने की जरूरत है. जब तक पार्टी ऐसा नहीं करती है, वह बीजेपी को हरा नहीं पाएगी।
आपको बता दें कि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चीफ गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘जब मैंने कांग्रेस पार्टी छोड़ी थी, तभी मैंने इस बात की भविष्यवाणी कर दी थी।’ विपक्ष के इंडिया गठबंधन को लेकर आजाद ने कहा कि अगर ऐसा होता है, तो बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन अभी मैं ये नहीं कह सकता हूं कि ये कितने दिनों तक चलने वाला है।
आपको बता दें कि पिछले साल अगस्त में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ दिया था। उन्होंने सोनिया गांधी को पांच पन्नों की चिट्ठी लिखते हुए अपने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था। वह कांग्रेस के अंदरूनी गुटों से नाराज चल रहे थे। पार्टी छोड़ने के अगले ही महीने उन्होंने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी की स्थापना की थी।