हरिद्वार। श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि भागवत से भक्ति और भक्ति से शक्ति की प्राप्ति होती है। पापों से निवृत्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को भागवत कथा अवश्य श्रवण करनी चाहिए। भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत से व्यक्ति को जीवन में मंगल और आनंद की प्राप्ति होती है। मन में आध्यात्मिक विकास होता है। भागवत कथा का दर्शन कलयुग में साक्षात भगवान के दर्शन के समान है। कथा के स्मरण करने मात्र से हमारे समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। सभी ग्रंथो का सार श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायिनी है। कथा व्यास योगाचार्य राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भागवत कथा श्रवण मात्र से मानव जीवन का पूरी तरह कल्याण हो जाता है। कार्तिक मास में भगवान श्रीकृष्ण की कथा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। भागवत मनुष्य के जीवन को सार्थक बनती है जिससे वह अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि बाल्यावस्था से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति सांसारिक गतिविधियों में ही लिप्त रहकर इस अमूल्य जीवन को नश्वर बना देता है। श्रीमद् भागवत ऐसी कथा है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशाओं को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत का आयोजन होता है इसके संबोधन मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक ऊर्जा से सशक्त हो जाता है। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन के अर्थ का बोध नहीं होता। ईश्वर स्वच्छ मन से की गई आराधना के अधीन होते हैं और भक्ति मात्र के प्रेम को जानते हैं। जब तक भक्तों का मन पवित्र नहीं होगा तब तक भागवत कथा श्रवण का लाभ उन्हें नहीं मिल सकता। युगो युगो से श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान जगत का कल्याण करती आ रही है। इसलिए सभी को भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। गोपाल दत्त पुनेठा,विष्णु दत्त पुनेठा, सुनील सिंह,जगदीश नवानी,सुदामा भवनानी,अमरलाल,कुकरेजा,लालचंद
जगदीश भटीजा,सोनू शर्मा आदि उपस्थित रहे।