बांके बिहारी मंदिर का रास्ता साफ़, कई बिन्दुओं पर अभी भी स्थिति क्लियर होना बाकी
मथुरा : मथुरा से बड़ी खबर सामने आ रही है जहां सूत्र बताते हैं कि तीर्थ नगरी मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर का रास्ता साफ़ हो गया है। अब इसके लिए शासन से बजट पास होने का इंतज़ार है। बजट जारी होने के बाद ही प्रशन जमीन अधिग्रहण से लेकर आगे के क्रियाकलापों के लिए कदम बढ़ाएगा।
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए शासन से 300 करोड़ के बजट की फ़िलहाल आवश्यकता है। जमीन अधिग्रहण के बाद कॉरिडोर के निर्माण के लिए 505 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया गया है। इसके बाद बांके बिहारी मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। यानी इस पूरे प्रोजेक्ट में लगभग एक हजार करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। संभव है कि पीएम मोदी राज्य सरकार की मदद करते हुए केंद्र सरकार के फंड से इस प्रोजेक्ट के लिए विशेष बजट का ऐलान कर दें।
दरअसल, पीएम मोदी अपने मथुरा दौरे के दौरान शुक्रवार को मथुरा में मीराबाई की 525वीं जयंती पर ब्रज रज उत्सव में शिरकत करने जा रहे हैं। इससे पूर्व इलाहबाद हाईकोर्ट में बांके बिहारी कॉरिडोर मामले में प्रतिदिन सुनवाई हुई और 20 नवंबरर को फैसला सुनाए जाने की तारीख निर्धारित हुई।
तारीख निर्धारित होने के बाद सम्भावना जताई गई कि हाईकोर्ट का फैसला कॉरिडोर के पक्ष में आएगा, तो पीएम मोदी स्वयं ब्रज रज के मंच से इसके लिए बजट का ऐलान कर सकते हैं। अब फैसला आ चुका है। अब केवल बजट को लेकर प्रशासन असमंजस में है। प्रशासन खुद उम्मीद लगाए बैठा है कि पीएम खुद बजट का ऐलान करेंगे। जिससे पैसा जल्दी जारी होगा और जल्दी ही कॉरिडोर धरातल पर आएगा।
कोर्ट के फैसले के बाद कॉरिडोर का रास्ता तो साफ़ हो गया है, लेकिन कई बिन्दुओं पर अभी भी स्थिति क्लियर होना बाकी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बांके बिहारी मंदिर करे संचालन की नियमावली है। अभी तक की नियमावली के अनुसार, मंदिर प्रबंधन को प्रशासनिक व्यवस्थाओं के साथ ही पूजा-पाठ का अधिकार है। माना जा रहा है कि जिस प्रकार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बना, वहां की प्रशासनिक व्यवस्थाएं स्थानीय प्रशासन के हाथ में चली गईं।
वहीं पूजा-पाठ की व्यवस्था न्यास परिषद के हाथ में ही रही। यही व्यवस्था बांके बिहारी कॉरिडोर में भी लागू किए जाने की उम्मीद है। हालांकि हाईकोर्ट के निर्देशन में 1939 में बनी इस नियमावली में बदलाव पर भी याचिका कोर्ट में लंबित है। उस पर भी सुनवाई चल रही है।
हाईकोर्ट द्वारा बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने का रास्ता साफ़ करने के बाद प्रशासन अब इसके जमीन अधिग्रहण की दिशा में विचार करने में जुट गया है। 300 के करीब निर्माणों को हटाने के लिए जमीन पहले ही चिन्हित किया जा चुका है। मगर, अब फिर प्रशासन एक बार पुख्ता सर्वे कराने और जमीन के बदल में दिए जाने वाले मुआवजे की कीमत तय करने में जुट गया है।
इसका पूरा खाका बनाकर प्रशासन राज्य सरकार को भेजेगा। उसी अनुसार, जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजा राशि जारी होगी। बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए 5।65 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। स्थानीय लोगों को जमीन देने के लिए मनाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही प्रशासन आगे की दिशा में कदम बढ़ाएगा।