मथुरा। देशभर में जहां विवाहिता महिलाओं के लिए एक ओर करवा चौथ का व्रत बेहद महत्वपूर्ण है वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक तहसील ऐसी भी है जहां की विवाहिता महिलाएं चाहकर भी इस व्रत को नहीं करती हैं। मथुरा जिले की मांट तहसील के सुरीर बिजउ गांव के बधा विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घ आयु की कामना के लिए किया जाने वाला करवा चौथ का व्रत मथुरा जिले की मांट तहसील के सुरीर बिजउ गांव के बधा क्षेत्र की विवाहित महिलाएं नहीं रखती हैं। इसका मुख्य कारण एक सती का इस क्षेत्र के लोगों को दिया गया श्राप है।
व्रत करने पर पति की हो जाती है मौत
गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि लगभग ढाई सौ वर्ष पहले घटी घटना के बाद शुरूआत में जिस महिला ने करवा चौथ मनाया उसे ही अपने पति को खोना पड़ गया। आठ नौ इस प्रकार की मौत होने से महिलाओं के विधवा होने के बाद से इस क्षेत्र में इस त्योहार का मनाना बंद हो गया। गांव की 102 वर्षीय सुनहरी देवी ने बताया कि लगभग ढ़ाई सौ वर्ष पहले एक ब्राह्मण पति अपनी पत्नी को ससुराल से विदा कराकर बैलगाड़ी से जब अपने गांव राम नगला जा रहा था तो रास्ते में बघा क्षेत्र में उसका विवाद एक बैल को लेकर हो गया।
जहां बघा क्षेत्र के एक व्यक्ति का कहना था कि उसका यह वही बैल है जो हाल में चोरी हो गया था वहीं ब्राह्मण कह रहा था कि यह बैल उसे ससुराल में मिला है। विवाद इतना बढ़ा कि ब्राह्मण की हत्या कर दी गई। इसके बाद उसकी पत्नी न केवल सती हो गई बल्कि सती होने के पहले उसने श्राप दिया था कि बघा क्षेत्र की जो भी महिला करवा चौथ का व्रत करेगी उसके पति की मृत्यु हो जाएगी। जिस दिन उक्त घटना घटी उस दिन करवा चौथ का पर्व था।उन्होंने बताया कि यद्यपि ब्राह्मण की मृत्यु के बाद गांव में ही सती का मन्दिर बनाया गया था तथा विवाह के पूर्व और अन्य पर्वों पर सातों जाति इसकी पूजा करती हैं किंतु करवा चौथ मनाने एवं कुछ विवाहित युवकों की मृत्यु के कारण यह व्रत रखने की प्रथा इस गांव से स्वतः समाप्त हो गई।
बदलते समय में कुछ विवाहिताओं को यह प्रथा कुप्रथा सी लगती है किंतु इसे तोड़ने का वे भी साहस नही जुटा पाती। विवाहिता पूजा कहती हैं कि शादी के पहले से ही उसके मन में करवा चौथ मनाने के लिए बड़ा उत्साह था किंतु सती के श्राप के कारण इस व्रत को नहीं करती हैं। विवाहिता रेखा ने कहा कि उसे विवाह के बाद गांव की इस परंपरा का ज्ञान हुआ। विवाहिता पूनम, प्रीति आदि ने कुछ इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए।
समाजसेवी अभय गुप्ता ने बताया कि राम नगला गांव के लोग तो बघा का पानी पीने से भी परहेज करते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि बघा में सती की पूजा देवी की तरह की जाती है। देश के कम्प्यूटर युग में पहुंच जाने के बावजूद किसी में इस प्रथा को तोड़ने की हिम्मत नही है क्योंकि लोग सती के श्राप को एक प्रकार से देवी का आदेश मानते हैं।