परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में किया सहभाग
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान पधारे। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में सहभाग किया। रात्रिविश्राम परमार्थ निकेतन के दिव्य आध्यात्मिक वातावरण में किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, परमार्थ निकेतन परिवार के सदस्य और विश्व के कई देशों से आये श्रद्धालुओं ने देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी धर्मपत्नी मधुलिका को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। जनरल बिपिन रावत का बलिदान देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। उनका असमय जाना पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि परमार्थ निकेतन, गंगा जी के तट पर स्थित एक दिव्य आध्यात्मिक केंद्र है, जो देश-विदेश से आने वाले भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां की गंगा आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, आध्यात्मिक जागरूकता और सामाजिक सेवा का प्रतीक भी है। हमें गर्व है कि पूज्य स्वामी जी विदेश की धरती पर भारतीय संस्कृति की धर्म ध्वजा फहरा रहे हैं और गंगा जी के तट से प्रतिदिन सनातन संस्कृति की पताक लहरा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है, यह हमारी संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक है। हमारी सेना का प्रत्येक जवान भी गंगा जी की तरह ही अपने राष्ट्र की सेवा में समर्पित है।
सीडीएस अनिल चौहान ने युवाओं से देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, युवाओं के पास भारत के भविष्य को आकार देने की शक्ति है, वे इसे नैतिकता, ईमानदारी और साहस के साथ कर सकते हैं। युवाओं में देशभक्ति का भाव जगाना और उन्हें राष्ट्रहित में प्रेरित करना समय की मांग है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संत अपनी संस्कृति की रक्षा करते हैं और सैनिक अपनी सीमाओं की सुरक्षा करते हैं। हमारी सेना न केवल सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो हमारी सेना के जवान प्रकृति और समाज की रक्षा के लिए भी तत्पर रहते हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान सपरिवार पहुंचे परमार्थ निकेतन
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