औरैया। औरैया जिले में सहार के गांव गुलरियापुर निवासी आरती ने मंगलवार शाम 11वें बच्चे को जन्म दिया। हालत बिगड़ने पर परिजन आरती को सैफई ले गए। जहां आरती ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों की माने तो 11 बच्चे पैदा करने में बच्चेदानी का सिकुड़ना भी बंद हो गया होगा। ऐसे में ब्लड काफी बह गया होगा। भयावह पीड़ा से जूझती आरती ने अंतिम सांस ली होगी।
कुंबा बढ़ाने की ससुरालीजनों की चाहत ने एक महिला की जान ले ली। गुलरियापुर निवासी सर्वेश कुमार ने बताया कि साल 2006 में उसकी शादी आरती के साथ हुई। उसकी वर्तमान में छह बेटे व तीन बेटियां हैं। दो बच्चों की मौत भी हो चुकी है। 11वें प्रसव में आरती ने बेटे को जन्म दिया है। ये जानकारी चौंकाने वाली रही। शादी के बाद साल दर साल परिवार बढ़ाने का यह क्रम आरती की ही जान ले बैठा। इस घटना ने सभी को आईना दिखाया है।
परिवार, समाज व सरकारी व्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य विभाग के तंत्र को सबक सा दिया है। सबसे अहम यह बात रही कि शायद इस घर तक स्वास्थ्य विभाग का जागरूक करता संदेश ”दो बच्चे ही अच्छे” नहीं पहुंचा है। परिवार के बड़े बुजुर्गों से लेकर गांव के लोगों ने भी शायद दो बच्चों के जन्म में महिला सुरक्षा की अहमियत नहीं बताई। परिजनों की लापरवाही से महिला ने दम तोड़ दिया।
आरती की टूटती सांसे शायद परिजनों के लिए नसीहत होगी। 11वें बच्चे को जन्म देने में मामला अपने आप में क्रिटिकल हो गया। परिवार नियोजन से लेकर तमाम व्यवस्थाएं आरती के मामले में कोसो दूर नजर आ रही हैं। पूरे मामले को बताते हुए 50 शैया जिला अस्पताल की सीएमएस डा. मंजू सचान से पक्ष जाना गया। उन्होंने बताया कि दो बच्चों को जन्म देने तक ही महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रसव होता है। 11वें बच्चे तक मामला बहुत क्रिटिकल हो जाता है। कहीं न कहीं जागरूकता का अभाव रहा। ब्लड ज्यादा बहने की समस्या रही होगी।
11वें बच्चे को जन्म देने की कठिनाई में चली गई जान
Leave a comment
Leave a comment

