ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में कौतिक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन उत्तराखंड की फिल्मों, संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ यहां की दिव्यता, भव्यता, प्राकृतिक सौन्द्रर्य से युक्त अनछुए स्थानों के दर्शन वैश्विक स्तर पर करवाने के लिये किया गया है। इस फेस्टिवल के दूसरे दिन पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र भगत सिंह कोश्यारी व परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती का पावन सान्निध्य व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। पूर्व राज्यपाल, महाराष्ट्र भगत सिंह कोश्यारी ने कौतिक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के आयोजन के लिए पूज्य स्वामी, आयोजक शालिनी, राजेश शाह व सभी प्रतिभागियों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह जो संसार है वह विविधता से युक्त है और इस विविधता में जो एकता दिखाते हैं वह पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती का अध्यात्म है या फिर सिनेमा है, दोनों अपने-अपने ढ़ंग से एकत्व दिखाते हैं।
परमार्थ निकेतन का जैसा नाम है वैसा ही इसका काम है। परमार्थ निकेतन में अनेक विधाओं और विचारों के लोग आते हैं और यहां से शान्ति लेकर जाते हैं और जीवन में कुछ न कुछ हासिल करते हैं। जो यहां पर एक बार आता है वह बार-बार यहां आने की कोशिश करता है चाहे वह भारत के हों या विदेश के हों। भारत की यह विशेषता है कि यहां पर लोग परिवार की सुख-सुविधाओं को त्याग कर के सम्पूर्ण जीवन भगवान को समर्पित करते हैं। उनकी तपस्या के आगे बड़े-बड़े राजा, नेता, राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री सब उन सन्यासियों के चरणों में आते हैं। परमार्थ निकेतन वह भूमि है जहां पर सिनेमा व ईश्वरत्व का संगम होता है। आज पूरे विश्व को यदि किसी चीज की आवश्यकता है तो वह है आध्यात्मिकता। अध्यात्म यह नहीं है कि हम आंख व कान बंद कर बैठे रहें बल्कि जैसे हमारे पूज्य स्वामी जी चाहे कोई बाहर का हो, देश का हो, विदेश का हो या किसी भी विचारधारा का हो वे सभी में परमात्मा के दर्शन करते हैं और सभी का स्वागत करते हैं क्योंकि वे जानते है कि जो गंगा जी के किनारे आ गया, जो परमार्थ निकेतन आ गया वह गंगा जी का हो गया। चाहे किसी भी विचारधारा के लोग हो स्वामी जी मानते हैं कि जो गंगा जी के तट पर आ गया वह गंगा जी सा पवित्र हो गया।